Copyright @Sunayana Kachroo
तुम कहते हो कविता लिख दो
मुझे ख़ून बहाना पड़ता है
शब्दों की खींचा-तानी में
नब्ज़ों का धागा कटता है
ग़म के नोकीले नश्तर से
दिल पर गुद्वाना पड़ता है
बंजर कागज़ के सीने में
खंजर बन जाना पड़ता है
नज्मों-ग़जलों के झगडे से
ज़ख्मो को छुड़ाना पड़ता है
वह गली जहाँ वह रहता था
उस गली में जाना पड़ता है
उसकी हर बात बयां करके
फिर नाम मिटाना पड़ता है
वह अक्स जिसे मैं याद नहीं
उसे रक्स दिखाना पड़ता है
सारे तेवर गिरवी रखकर
इसको छुडवाना पड़ता है
वाह-वाह के मैखानों में धुत
घर लेकर आना पड़ता है
पागलपन की हद को छूकर
फिर वापस आना पड़ता है
हर युग के अमृत मंथन में
विष कंठ छुपाना पड़ता है
सब चतुराई बिक जाती है
जब शून्य कमाना पड़ता है
आतिशबाज़ी आतिशबाज़ी
ख़ुद को ही जलाना पड़ता है
ज़ेवर नहीं तावीज़ है यह
परतों में छुपाना पड़ता है
कहते हो एक कविता लिख दो
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Copyright @Sunayanakachroo (This poem is copyrighted by ASCAP Organization)
✍️😊👍👍👍👍
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Very nice poyem
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